नजरों से पैगाम करूं
प्रतियोगिता हेतु
मुक्तक
बाहों में बाहें डाले हम, इन सपनों में खो जाएं।
होंठों पर रख होंठ चलो सारे अरमान भिगो जाएं।।
भले दूर हैं लेकिन अपनी भावनाओं को एक करें।
अब तो दूरी सभी मिटा कर, एक दूजे के हो जाएं।।
तेरे यौवन की मधुशाला में बैठूं आराम करूं।
तेरे संग सुबह हो मेरी, तेरे संग हर शाम करूं।।
बस इतनी अभिलाषा है तू, मेरी बात समझ लेना।
तू नजरों से पढ़ लेना, मैं नजरों से पैगाम करूं।।
भले नहीं देखा है लेकिन भावों से पहचान लिया।
नेह भरे तुम एक समंदर हो मैंने यह जान लिया।।
जो अपनत्व मिला है तुमसे उसने यह सिखलाया है।।
एक दूजे को एक दूजे का, साथी हमने मान लिया।।
रचनाकार ✍️
भरत सिंह रावत
भोपाल मध्यप्रदेश
Parangat Mourya
01-Feb-2023 02:46 PM
Nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
01-Feb-2023 07:07 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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डॉ. रामबली मिश्र
31-Jan-2023 09:00 PM
शानदार
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